अमन आलम ने मजदूर गरीब, बेसहारा और अशिक्षित लोगों को इन्साफ दिलवाना का बीड़ा उठाया
मजदूर गरीब और बेसहारा लोगों के लिए “इन्साफ दिलाने वाला मसीहा” हैं अमन आलम
अमन आलम उत्तर प्रदेश की राजधानी गौतम बुध नगर शहर में एक कमरे वाले मकान में रहते हैं। मकान भी उनके मित्र का है। अमन आलम का जो एक कमरे का मकान है वो भी किताबों से भरा पड़ा है। इन किताबों में ज्यादातर किताबें कानून की हैं। कमरानुमा मकान में कई सारे कानूनी कागज़ात भी हैं। सैकड़ों, शायद हजारों, मामलों से जुड़े कानूनी कागज़ात और दस्तावेजों से भरा पड़ा हैअमन आलम का मकान। कमरे में एक मेज़ है और इसी मेज़ पर अमन आलम लिखाई-पढ़ाई का काम भी करते हैं और इसी पर सो भी जाते हैं।किताबें और कानूनी कागज़ात ही अमन आलम की धन-दौलत और जायजाद हैं। उनके बैंक खाते में न तगड़ी रकम है और न ही उनके नाम कोई बेशकीमती ज़मीन।अमन आलम ने ज़िंदगी में अगर कुछ कमाया है तो वो है शोहरत और इज्ज़त।लेकिन, सबसे ज्यादा अहमियत रखने वाली बात ये है कि जिस तरह से अमन आलम ने लोगों की मदद करते हुए उनके दिलोदिमाग में अपनी बेहद ख़ास और पक्की जगह बनाई है, वैसा कर पाना अच्छे-अच्छों के लिए बहुत मुश्किल होता है।अमन आलम ने मजदूर गरीब, बेसहारा और अशिक्षित लोगों के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। उन्होंने गरीबी, अशिक्षा और अज्ञानता की वजह से इन्साफ से वंचित लोगों को इन्साफ दिलवाना का बीड़ा उठाया है।पिछले कई सालों से अमन आलम मजदूर गरीब, बेसहारा और अशिक्षित लोगों को इन्साफ दिलवाने के लिए अलग-अलग श्रम अदालतों में कानूनी लडाइयां लड़ रहे हैं। हजारों लोगों को इन्साफ दिलाने में वे कामयाब भी रहे हैं। बड़ी बात ये भी है कि इन्साफ दिलाने की जंग में अपने गरीब मुवक्किलों का राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस गौतम बुध नगर के ट्रेड यूनियन के कार्यकर्ता बनने और अदालतों में उनकी मजदूर के हित की लड़ाई करने के लिए अमन आलम कोई कुछ भी नहीं लेते।कुछ लेते भी कैसे, उनके गौतम बुध नगर के मजदूर ऐसे होते हैं कि जिनके पास दो जून की रोटी जुटाने के लिए रुपये भी नहीं होते। यानी गरीबों में भी सबसे गरीब लोगों को अदालतों में इन्साफ दिलाने का काम करते हैं अमन आलम।कोई भी इंसान अगर इन्साफ से वंचित है या फिर उसके अधिकारों का हनन हुआ है, अमन आलम उसके समाज सेवक बन जाते हैं। अमन आलम ये नहीं देखते थे कि पीड़ित और शोषित का राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस इंटक गौतम बुध नगर कार्यकर्ता बनकर उन्हें क्या मुनाफा मिलेगा, वे बस यही चाहते हैं कि हर हकदार को इन्साफ मिला और हर इंसान को उसका हक़।अमन आलम कहते हैं, “मेरे लिए समाज सेवक एक पेशा नहीं है, मेरे लिए मजदूर गरीब की सहायता एक मिशन है, मिशन है मजदूर गरीब लोगों को इन्साफ दिलाने का। ये मिशन है -जागरूकता की कमी और संसाधनों के अभाव की वजह से नाइंसाफी का शिकार हो रहे लोगों को उनका हक़ दिलाने को।“ काफी पढ़े-लिखे और काबिल अमन आलम चाहते तो जीवन में तगड़ी तनख्वाह वाली अच्छी नौकरी हासिल कर सकते थे।अमन आलम ने जो मार्ग चुना उसपर चलना आसान नहीं है। रास्ते में कई सारी कठिनाईयां हैं, चुनौतियां हैं, और इन कठिनाईयों और चुनौतियों का अंत भी नहीं है। लेकिन, अमन आलम ने सबसे मुश्किल-भरा रास्ता चुना। शायद इसी रास्ते पर चलने की वजह से वे आज समाज में अपनी बेहद ख़ास पहचान रखते हैं। सभी लोग उनका सम्मान करते हैं। गरीब और बेसहारा लोगों के लिए अमन आलम “इन्साफ दिलाने वाले मसीहा” हैं। गरीबों और बेसहारा लोगों के समाज सेवक के नाम से मशहूर अमन आलम की कहानी अनूठी कहानियों में भी अनूठी है। अमन आलम की कामयाबी की बेहद अनूठी कहानी शुरू होती है गोरखपुर मदरहा गांव से जहाँ उनका जन्म हुआ।